बुद्धं शरणं गच्छामि। धम्मं शरणं गच्छामि।
संघं शरणं गच्छामि। बुद्धं शरणं गच्छामि।
आप सभी को बुद्ध पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं। हर वर्ष वैसाख मास की पूर्णिमा तिथि को बुद्ध पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है और त्याग, ज्ञान व शांति के अग्रदूत भगवान बुद्ध की पूजा-अर्चना की जाती है। मान्यता है कि आज के दिन भगवान गौतम बुद्ध का जन्म हुआ था। न केवल बौद्ध अनुयायियों के लिए बल्कि सनातन धर्म में भी यह दिवस विशेष महत्व रखता है क्योंकि गौतम बुद्ध को भगवान विष्णु का 23वां अवतार माना जाता है। बुद्ध पूर्णिमा को केवल भारत में ही नहीं बल्कि कंबोडिया, श्रीलंका, नेपाल, चीन, मलेशिया, थाईलैंड जैसे अनेक देशों में भी हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
एक महात्मा के रूप में अपना समस्त जीवन जीने वाले भगवान गौतम बुद्ध कपिलवस्तु के पास लुम्बिनी में हुआ था और उनका बचपन का नाम सिद्धार्थ गौतम बुद्ध था। बौद्ध धर्म के प्रवर्तक के रूप में उन्होंने समाज में फैली बुराइयों को दूर किया और शांति, अहिंसा और प्रेम से जीवन जीने का सिद्धांत जन जन को दिया। महात्मा बुद्ध ने अपने कठोर ध्यान से जो सबसे बड़ा उपदेश समाज को दिया वह यह है कि, "सत्य हर मनुष्य के साथ है और उसे बाहर ढूँढना निरर्थक है, व्यक्ति को अपने भीतर छिपी सत्य की ऊर्जा व प्रकाश को स्वयं ही अपने भीतर तलाशना होगा।" अपना राजमहल का जीवन त्याग कर भगवान बुद्ध अनेकों वर्षों तक ज्ञान की खोज में भटकते रहे। उन्होंने कठोर तप और साधना की, जिसके परिणामस्वरूप वैशाख पूर्णिमा के दिन बोधगया में बोधि वृक्ष के नीचे उन्हें बुद्धत्व ज्ञान की प्राप्ति हुई। इसी के चलते बिहार के बोधगया को हिन्दू व बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए पवित्र स्थान माना जाता है।
बौद्ध धर्म के अंतर्गत आदर्श जीवन को परिभाषित करने वाले परम योगी भगवान गौतम बुद्ध के चरणों में शत शत वंदन है और उनके जन्मोत्सव के इस शुभ और पावन दिवस पर सभी को अनंत शुभकामनाएं।