नई अफीम नीति किसानों के साथ छलावा है, इस नीति के माध्यम से केन्द्र सरकार की अफीम किसानों को समाप्त करने की साजिश है। क्षेत्र के जनप्रतिनिधि भी किसानों की आवाज को केन्द्रीय मंत्रालय तक पहुंचाने में नाकाम साबित हुए हैं। किसानों की एक भी समस्या पर सरकार ने ध्यान नही दिया है। अफीम नीति के विरोध में शीघ्र बड़ा आन्दोलन किया जाएगा। किसान नेता व प्रदेश कांग्रेस महामंत्री श्यामलाल जोकचन्द्र ने आरोप लगाया कि केन्द्र की सरकार लगातार किसानों पर अन्याय, अत्याचार कर रही है, हजारों अफीम किसान इस नीति से प्रभावित होंगे।
किसानों को उम्मीद थी कि 1997-98 के कट्टे पट्टे बहाल होंगे, प्रत्येक किसान को 10 आरी का पट्टा मिलेगा, ऐसे वादे सांसद ने किए थे, लेकिन किसानों को निराशा हाथ लगी। अफीम में मार्फिन की मात्रा 4.2 घोषित की है, जो किसान के हाथ में नही है, हजारों किसानों के अफीम पट्टे कट जाएगें। एसे लोग अफीम नीति बना रहे है, जिन्हें यह पता नही डोडा कहां लगता है और चीरा कैसे लगता है? जोकचन्द्र ने केन्द्रीय वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी, पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ को भेजकर अफीम किसानों को राहत प्रदान करने की मांग की।
जोकचन्द्र ने आरोप लगाया कि अफीम नीति भी देरी से घोषित की गई, इस कारण कई किसान औसत नही दे पाए, एसी स्थिति में सरकार उनके पट्टे काटे, जो कतई न्याय संगत नही है। केन्द्र की भाजपा सरकार अफीम खेती को बंद करने व उनका भविष्य बर्बाद करने का षड्यंत्र रच रही है।
जान बुझकर देरी से दिया जाता है अफीम खेती के आदेश :-
जोकचन्द्र ने आरोप लगाया कि षड्यंत्रपूर्वक जान बुझकर अफीम खेती का आदेश देरी से दिया जाता है। किसान अफीम औसत पूरी नही दे पाता है और उसका पट्टा कट जाता है, प्रतिवर्ष सरकार हजारों किसानों के पट्टे काट देती है, इसे बहाल करने के लिए कई किसानों से नारकोटिक्स के अधिकारी बड़ी राशि लेते है, जुलाई 2021 में नीमच अफीम फेक्ट्री महाप्रबंधक को कोटा भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने किसानों से वसूली गई भ्रष्टाचार की राशि समेत गिरफ्तार किया था, लेकिन मामला रफा-दफा हो गया, अधिकारी पर बड़ी कार्रवाई नही हो पाई।
जोकचन्द्र ने बताया इंदौर की महारानी अहिल्याबाई होल्कर स्टेट के जमाने में उनके झंडे में अफीम का डोडा व गेंहू की बाली का निशान था। इस फसल के नाम पर मालवा-मेवाड़ क्षेत्र स्वयं को गौरान्वित महसूस करता था, लेकिन दुर्भाग्य से जनप्रतिनिधियों व पुलिस प्रशासन की मिलीभगत के कारण उक्त फसल के नाम पर किसानों को बदनाम किया जा रहा है।
किसी भी मांग पर नहीं दिया गया ध्यान :-
जोकचन्द्र ने पत्र में अफीम किसानों के लिए पूर्व में भी पत्र लिखा गया था जिसमें किसी भी किसान को दस आरी से कम के पट्टे नही दिए जाने। आवेदन करने वाले हर किसान को अफीम का पट्टा दिया जाने। पूर्व में घटिया, राख, कम औसत, मार्फिन व वाटरमिक्स के आधार पर काटे सभी पट्टे बहाल किए जाने। तीन प्लाट में बोने पर विभाग द्वारा काटे गए पट्टों को भी पुनः दिए जाने, अफीम का भाव कम से कम 50 हजार रुपए किलो दिया जाने, वर्ष 1997-98 से 2004 तक जीरो औसत पर पट्टे जारी किए जाने, नारकोटिक्स विभाग द्वारा किए जा रहे भ्रष्टाचार पर लगाम लगाई जाने, अफीम पट्टे की पात्रता होने पर किसानों की सूची सार्वजनिक की जाने, पोस्तादाना के लिए इच्छुक किसान को भी पट्टे दिए जाने, अफीम तौल के समय ही किसान को उसकी उपज की क्वालिटी की जानकारी दी जाने व जांच प्रक्रिया उसी दिन पूरी की जाने, मुखिया के यहां प्रतिदिन किए जाने वाली तौल प्रक्रिया को बंद की जाने, गोदाम पर ले जाने के अंतिम दिन ही अफीम का पूरा तौल किया जाने, महंगी अफीम खेती का बीमा किया जाने, मार्फिन की अनिवार्यता को समाप्त किया जाने, प्राकृतिक आपदा काली मस्सी, धोली मस्सी, कोहरा, ओलावृष्टि, पाला गिरने, बैमोसम बरसात आदि पर नुकसान होने पर किसान को वित्त मंत्रालय द्वारा 10 आरी पर 25 हजार रुपए का मुआवजा देने का प्रावधान सुनिश्चित किए जाने, अफीम के डोडे चोरी होने व अफीम का कुंडा चोरी होने पर किसान का पट्टा नही काटा जाने तथा अफीम लाईसेंस धारी की मृत्यु पर सरल प्रक्रिया में उसके परिजन को पट्टा दिया जाने की मांग की थी, लेकिन नई अफीम नीति में एक मांग का भी सरकार ने निराकरण नही किया।
डोडाचूरा को एनडीपीएस एक्ट से बाहर करने की मांग:-
जोकचन्द्र ने आगे बताया कुछ माह पूर्व मंदसौर जिला प्रशासन ने बैठक आयोजित कर किसानों के डोडाचूरा नष्टीकरण को लेकर निर्देश दिए। साथ ही समाचार पत्रों में भी खबर प्रकाशित हुई कि किसानों से पांच साल के डोडाचूरा का हिसाब लिया जाएगा। पर यह स्पष्ट नहीं किया कि उक्त डोडाचूरा को लेकर सरकार किसानों को क्या राशि देगी?
जोकचन्द्र ने बताया किसानों से बड़ी राशि वसूलने के लिए सत्तारुढ़ दल के जनप्रतिनिधियों के इशारे पर प्रशासन ने यह निर्देश दिए थे। यह निर्देश किसानों को सरासर ब्लेकमेलिंग कर उन्हें मानसिक रुप से प्रताड़ित करने वाला था। हालांकि विरोध के बाद यह नही हो पाया। जोकचन्द्र ने पत्र में डोडाचूरा को एनडीपीएस एक्ट से बाहर करने की भी मांग की। पत्र में बताया कि डोडाचूरा में 00.2 प्रतिशत से भी कम मात्रा में मार्फिन पाई जाती है, जबकि वैध नशे की गोली एलफ्लेक्स एल्फ्राजोलम में 0.25 मिलीग्राम एवं डाइजेफाम गोली में 0.10 एमजी तक नशा रहता है और यह गोलियां सहज में डॉक्टर की सलाह पर मेडिकल स्टोर्स पर मिल जाती हैं।
दुर्भाग्य से अन्नदाता किसान कड़ी धूप, ठंड, बारिश, ओले झेलते हुए अफीम की फसल पैदा करता है और लुवाई, चिराई व डोडे से पोस्ता लेने के बाद वेस्ट मटेरियल डोडाचूरा को विक्रय करता है तो पुलिस द्वारा उस पर एनडीपीएस एक्ट का मुकदमा लादकर उसे जेल में बंद कर दिया जाता है, जबकि पूर्व में डोडाचूरा आबकारी विभाग के अधीन था और प्रदेश सरकार इसे खरीदती थी। पर अब किसान पर नष्ट करने का दबाव बनाकर उसे आर्थिक नुकसान किया जा रहा है। पुलिस विभाग का मालवा-मेवाड़ क्षेत्र में डोडाचूरा के नाम पर गौरखधंधा चल रहा है। कई सफेदपोशों के साथ मिलकर पुलिस खुद जाल बिछाकर, खरीददार को भेजकर किसान को फर्जी डोडाचूरा प्रकरण में फंसाकर लाखों रुपए की अवैध वसूली कर रही है।
सत्तारुढ़ पार्टियों के सांसद, विधायकों द्वारा थाना क्षेत्रों में चुन-चुनकर एसे थाना प्रभारियों को पदस्थ करवाया जा रहा है, जो फर्जी एनडीपीएस एक्ट प्रकरण बनाने में माहिर हो। एक केस बनाकर 10 से लगाकर 25 किसानों से लाखों की वसूली होती है, इस राशि में कई बड़े सफेदपोशों का भी हिस्सा रहता है। इस अवैध राशि को वे चुनाव में खर्च कर परिणाम प्रभावित करते है। अगर डोडाचूरा को एनडीपीएस एक्ट से बाहर किया जाता है तो किसाानों को आर्थिक फायदा तो होगा ही साथ ही डोडाचूरा प्रकरण में जेलों में बंद हजारों बेगुनाह लोगों को न्याय मिल सकेगा। वहीं अन्य अपराधों में भारी कमी आएगी।