सीपीएस पद्धति से परेशान अफीम उत्पादक किसान दुःखी और लाचार हैं, खेतों में फसल खड़ी-खड़ी सूख गई है, चोरियों का डर अलग भी सता रहा है, रातभर अन्नदाता खेत मे रखवाली कर रहा है। सीपीएस पद्धति से मिले पट्टे वाले किसान फसल काटने के आदेश का इंतजार कर रहे है। मल्हारगढ़ विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी रहे श्यामलाल जोकचन्द्र ने बताया मालवा-मेवाड़ में भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने जबरन अफीम उत्पादक किसानों को मार्फिन की मात्रा कम बता कर सीपीएस पद्धति के पट्टे जारी किए तथा उन्हें चीरा नहीं लगाने दिया।
किसानों ने खाद-बीज दवाई सहित मेहनत करके अफीम की फसल को तैयार किया। जैसे ही अफीम की फसल में डोडे आए, तब से ही किसान संगठनों ने केंद्र की निष्ठुर मोदी सरकार के सामने बार-बार गुहार लगाई कि उन्हें डोडो पर चीरा लगाने दिया जाए, यहां तक कि मालवा मेवाड़ के किसानों ने दिल्ली में जाकर तक गिरफ्तारियां भी दी लेकिन किसान विरोधी मोदी सरकार ने उनकी एक न सुनी। अन्ततः धीरे-धीरे किसानों की फसल सूखने लगी।
अब किसान अफीम के डोडे काटने का इंतजार कर रहा है, लेकिन दुर्भाग्य से नीमच नारकोटिक्स अपर आयुक्त को भाजपा सरकार ने सिर्फ पोस्ट ऑफिस की भूमिका में लाकर खड़ा कर दिया है। बेबस लाचार डीएनसी अभी तक डोडे कब कटेंगे, कैसे खसखस लेंगे, इसके आदेश का इंतजार चातक पक्षी की तरह वित्त मंत्रालय की तरफ टकटकी लगाकर कर रहा है। जोकचन्द्र ने आगे बताया पूरी सरकार में गंभीरता नाम की कोई चीज नहीं बची है। पिछले दिनों राजस्थान के सांसद सीपी जोशी ने सदन में मामला उठाया, लेकिन बेबस लाचार भाजपा सांसद सीपी जोशी की भी भाजपा सरकार ने एक न सुनी।
आज खड़ी फसल में कभी बारिश, कभी ओले, कभी चोरियों का डर किसान को सता रहा है। वहीं भाजपा के जनप्रतिनिधियों को किसानों की कोई परवाह नहीं है, उन्हें सिर्फ चुनाव जीतने और महंगाई बढ़ाने के अलावा कुछ दिखाई नहीं दे रहा है। जोकचन्द्र ने बताया की वित्तमंत्री सीतारमण को मैंने फिर पत्र लिखकर मांग की कि किसानों के मिले सीपीएस के पट्टे के डोडे काटने की अनुमति प्रदान की जाए, अन्यथा किसानों की खसखस मार्च-अप्रैल की गर्म हवाओं से डोडे फूटकर खेतों में ही नष्ट हो जाएगें।